नेटवर्क सिक्योरिटी: कंप्यूटर मैसेज का सुरक्षा गार्ड

नेटवर्क सिक्योरिटी: कंप्यूटर मैसेज का सुरक्षा गार्ड



आजकल इंटरनेट का उपयोग ऑनलाइन बैंकिंग और ई-कॉमर्स में काफी जोरों पर है, ऐसे में नेटवर्क की सिक्योरिटी अधिक महत्त्वपूर्ण हो जाती है।
कंप्यूटर का उपयोग गोपनीय संवाद भेजने से लेकर ई-बिजनेस तक में काफी तेजी से बढ़ रहा है। एक तरफ जहां इससे काफी सुविधाएं बढ़ी हैं, वहीं दूसरी ओर सिक्योरिटी से संबंधित परेशानियों से भी दो-चार होना पड़ रहा है। नेटवर्क को सिक्योर रखना एक बड़ी चुनौती बन गया है, ताकि नेटवर्क ट्रैफिक से होकर गुजरने वाला मैसेज सुरक्षित अपने गंतव्य तक पहुंच सके।
आज बात करते हैं नेटवर्क सिक्योरिटी से संबंधित कुछ ऐसी ही कॉमन टर्म्स की, जिनके बारे में हमें बराबर सुनने को मिलता रहता है। नेट यूजर्स के रूप में इन टर्म्स की जानकारी होना तो हमारे लिए जरूरी है ही, साथ ही आजकल इंटरव्यू के दौरान भी इन कॉन्सेप्टों के बारे में आपसे पूछा जा सकता है।
जब भी हम नेटवर्क के संदर्भ में सिक्योरिटी की बात करते हैं तो हमारा उद्देश्य इस बात को सुनिश्चित करना होता है कि नेटवर्क ट्रैफिक से होकर गुजरने वाले मैसेज को कोई अनाधिकृत व्यक्ति एक्सेस न कर सके। आजकल इंटरनेट का उपयोग ऑनलाइन बैंकिंग और ई-कॉमर्स में काफी जोरों पर है, ऐसे में नेटवर्क की सिक्योरिटी और भी अधिक महत्त्वपूर्ण हो जाती है। नेटवर्क सिक्योरिटी प्रॉब्लम को आमतौर पर हम चार कैटेगरीज में रख सकते हैं।

प्राइवेसी: किसी मैसेज को भेजने वाले तथा इसे पाने वाले व्यक्ति की कॉन्फिडेंशिएलिटी इसके तहत आती है। भेजा जाने वाला मैसेज केवल अधिकृत यूजर को ही डिलीवर होना चाहिए। प्राइवेसी के लिए आमतौर पर मैसेज को इनक्रिप्ट किया जाता है।
मैसेज ऑथेंटिकेशन: आप जिस मैसेज को प्राप्त करते हैं, आपको यह पता होना चाहिए कि वह मैसेज किसी अधिकृत स्रोत से ही भेजा गया है। कभी-कभी कोई गलत व्यक्ति भी अपने आप को यह साबित करने की कोशिश करता है कि वास्तव में मैसेज का असली सेंडर वही है। मैसेज ऑथेंटिकेशन के लिए आजकल डिजिटल सिग्नेचर का प्रचलन जोरों पर है।
मैसेज इंटिग्रिटी: कभी-कभी ऐसा भी होता है कि नेटवर्क ट्रैफिक से गुजरते हुए मैसेज को ‘हैक’ कर उसे परिवर्तित कर दिया जाता है यानी ऑरिजनल मैसेज को ही बदल दिया जाता है। मैसेज इंटिग्रिटी से तात्पर्य है कि कोई मैसेज बिना किसी परिवर्तन के बिलकुल उसी फॉरमेट में रिसीवर (मैसेज पाने वाला) को प्राप्त होना चाहिए।
नॉन रिपुडिएशन (Non Repudiation) : इसका मतलब होता है कि मैसेज पाने वाला व्यक्ति यह साबित करने में सक्षम होना चाहिए कि उसने जो मैसेज पाया है, वह किसी स्पेसिफिक सेंडर द्वारा ही भेजा गया है। मतलब है कि मैसेज भेजने वाला व्यक्ति बाद में इस बात से इंकार न कर सके कि वह मैसेज उसके द्वारा नहीं भेजा गया है।
फायरवाल
नेटवर्क सिक्योरिटी के संदर्भ में फायरवाल भी काफी प्रसिद्ध विषय है। फायरवाल एक ऐसी तकनीक है, जिसके उपयोग से अनऑथराइज्ड इंटरनेट यूजर्स को किसी इंट्रानेट यानी प्राइवेट नेटवर्क को एक्सेस करने से रोका जा सकता है। इस तरह हमारा इंटर्नल नेटवर्क सुरक्षित रहता है। इसे आप हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर, दोनों ही रूप में इंप्लिमेंट कर सकते हैं। आमतौर पर हम चाहते हैं कि हमारा प्राइवेट नेटवर्क बाहरी दुनिया से एक्सेस न किया जा सके। ऐसे में फायरवाल काफी काम आता है। इतना ही नहीं, वायरस, स्पैम, मेक्रोज आदि से भी फायरवाल कंप्यूटर नेटवर्क की सुरक्षा करता है।
डिजिटल सिग्नेचर
डिजिटल सिग्नेचर के बारे में आपने जरूर सुना होगा। वास्तव में है तो यह भी सिग्नेचर ही, लेकिन इलेक्ट्रॉनिक फॉरमेट में। ज्यों-ज्यों फाइनेंशियल और अन्य एक्टिविटीज में नेट का उपयोग जोर पकड़ता जा रहा है, ऑनलाइन फ्रॉड की घटनाएं भी उसी तेजी से नजर आ रही हैं। ऐसे में डिजिटल सिग्नेचर एक उपयोगी टूल है। जिस प्रकार किसी प्रिंटेड डॉक्यूमेंट पर सिग्नेचर इस बात की पुष्टि करता है कि डॉक्यूमेंट वैध और सही है, ठीक उसी प्रकार इलेक्ट्रॉनिक डॉक्यूमेंट्स (ई-फॉर्म) पर डिजिटल सिग्नेचर इस बात का सूचक है कि डॉक्यूमेंट ऑथेंटिकेटेड और वैलिड है। डिजिटल सिग्नेचर की सहायता से किसी मैसेज की ऑथेंटिकेशन, इंटिग्रिटी और नॉन रिपुडिंएशिएशंस सुनिश्चित किया जा सकता है।
आजकल इंटरनेट पर ई-फॉर्म को साइन करने की जरूरत पड़ती है, जिसे डिजिटल सिग्नेचर सर्टिफिकेट द्वारा साइन किया जाता है। यह पासवर्ड प्रोटेक्टेड होता है, जिसे किसी इलेक्ट्रॉनिक डॉक्यूमेंट से कॉपी-पेस्ट नहीं किया जा सकता। विशेष जानकारी के लिए आप www.digitalsignature.in पर लॉग-इन कर सकते हैं।
कभी-कभी आम बोलचाल की भाषा में भी हम एक-दूसरे से बात करने में कोड का इस्तेमाल करते हैं, ताकि हमारी बातचीत गुप्त रहे और यह दूसरों की समझ में न आ सके। कंप्यूटर का इस्तेमाल भी अति गोपनीय रिपोर्ट और डॉक्यूमेंट्स को पाने और भेजने में किया जाता है। ऐसे में इन डॉक्यूमेंट्स की सुरक्षा काफी अहम हो जाती है।
क्रिप्टोग्राफी
कंप्यूटिंग वर्ल्ड में ‘क्रिप्टोग्राफी’ काफी प्रचलित टर्म है, जिसका अर्थ होता है ‘सीक्रेट राइटिंग’। इसके द्वारा हम मैसेज को कोड भाषा में परिवर्तित कर देते हैं, ताकि नेटवर्क ट्रैफिक से गुजरते समय यह सुरक्षित रहे, साथ ही अनाधिकृत व्यक्ति की समझ में न आ सके। इस काम के लिए इनक्रिप्शन और डिक्रिप्शन अलगोरिद्म का प्रयोग किया जाता है, जो विभिन्न ‘कीज’ पर आधारित होता है।

विशाल सोलंकी 

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