Communication(संचार) क्या है? / WIRE TYPES
Communication (संचार) का अर्थ – सूचनाओ का आदान
प्रदान करने से हैं | लेकिन ये सूचनाये तब तक उपयोगी नहीं हो सकती जब तक कि इन सूचनाओ का आदान
प्रदान न हो| पहले सूचनाओ या सन्देश को एक स्थान से दुसरे स्थान पर भेजने में काफी समय
लगता था | किन्तु वर्तमान में संदेशों का आदान प्रदान बहुत ही आसान हो गया हैं और समय
भी कम लगता है सेटेलाइट व टेलीविजन ने तो सारी दुनिया को एक नगर में बदल दिया हैं |
“जब दो या दो से
अधिक व्यक्ति आपस में कुछ सार्थक चिह्नों, संकेतों या प्रतीकों के माध्यम
से विचारों या भावनाओं का आदान-प्रदान करते हैं तो उसे संचार कहते हैं।”
“Communication refers to the act by one or more persons of sending and
receiving messages – distorted by noise-with
some effect and some opportunity for feedback”
some effect and some opportunity for feedback”
संचार के तत्व (Components of Communication)
- मैसेज (Message)
- प्रेषक (Sender)
- माध्यम (Medium)
- प्राप्तकर्ता (Receiver)
- प्रोटोकॉल (Protocol)
Message
मैसेज
वह जानकारी है जो Sender और Receiver के बीच
आदान-प्रदान की जाती है। पहला कार्य यह तय करना है कि आप क्या मैसेज भेजना चाहते
हैं और आपके मैसेज की सामग्री क्या होगी; आपके
मैसेज के मुख्य बिंदु और अन्य जानकारी शामिल करने के लिए क्या हैं। इसमें टेक्स्ट, नंबर्स, इमेज, साउंड, या
वीडियो या कुछ भी हो सकते हैं।
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Sender/Encoder
एनकोडर
या सेन्डर वह व्यक्ति होता है जो मैसेज भेजता है। मौखिक कम्युनिकेशन में एन्कोडर
स्पीकर होता है, और
लिखित कम्युनिकेशन में एन्कोडर लेखक होता है। एक एन्कोडर रिसीवर द्वारा समझने
योग्य प्रतीकों, शब्दों, ग्राफ
और चित्रों का उपयोग करता है, ताकि वह अपनी बात को अच्चेई तरह से समझा सकें|
Medium
Medium वह चैनल है
जिसके माध्यम से एन्कोडर अपने मैसेज को भेजता हैं मैसेज भेजने का माध्यम प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक
या ध्वनि हो सकता है। डाकिया के रूप में एक व्यक्ति हो सकता है Medium का
कार्य Sender और Receiver को आपस
में जोड़ना होता हैं|
ट्रांसमिशन
माध्यम (Transmission Medium) वह
माध्यम है जिसके माध्यम से हम डेटा एक स्थान से दूसरे स्थान पर भेजते हैं, जिसेट्रांसमिशन
या संचार मीडिया (Transmission
Media) कहा जाता है।
Receiver/Decoder
जिस
व्यक्ति को मैसेज भेजा जा रहा है उसे ‘रिसीवर’ / ‘डिकोडर’ कहा जाता है। रिसीवर वह व्यक्ति है जो Sender द्वारा
भेजे गए मैसेज को रिसिव करता है। यह एक कंप्यूटर, वर्कस्टेशन, टेलिफोन
हैंडसेट, टेलीविज़न
भी हो सकता है।
Protocol
प्रोटोकॉल
नियमों का एक ग्रुप है जो डेटा कम्युनिकेशन को कंट्रोल करता है। यह कम्युनिकेशन
डिवाइसेस के बीच एक एग्रीमेंट को रिप्रेसेंट करता है। प्रोटोकॉल के बिना, दो
डिवाइस कनेक्ट किए जा सकते हैं, लेकिन कम्युनिकेशन नहीं कर सकते, जैसे
जापानी समझने वाले व्यक्ति को हिंदी भाषा समझ में नहीं आएगी।
कोएक्सिअल
केबल- कोएक्सिअल केबल एक गोल आकार की केबल होती है जिसमें एक मुख्य चालक तार होता है जिसे इनर कंडक्टर कहा जाता है जो एक ठोस
प्लास्टिक के मोटे इंसुलेशन से ढकी होती है इसके ऊपर फोइल होती है और उस पर धातु
के तारो कि जाली लिपटी होती है जिसे आउटर कंडक्टर कहा जाता है और सबसे ऊपर
प्लास्टिक का पाइप होता है जो इन सभी को सुरक्षा प्रदान करता है ।
कोएक्सिअल केबल का प्रयोग अधिकतर केबल टीवी में होता है इसका प्रयोग कंप्यूटर नेटवर्क में भी किया जाता है लेकिन वर्त्तमान में इसका प्रयोग कंप्यूटर नेटवर्क में बहुत ही कम हो गया है ।
कोएक्सिअल केबल का प्रयोग अधिकतर केबल टीवी में होता है इसका प्रयोग कंप्यूटर नेटवर्क में भी किया जाता है लेकिन वर्त्तमान में इसका प्रयोग कंप्यूटर नेटवर्क में बहुत ही कम हो गया है ।
कोएक्सिअल केबल के प्रकार -कंप्यूटर नेटवर्क में प्रयोग होने वाली कोएक्सिअल केबल दो प्रकार कि होती है -
१-थिन नेट (RG-58)
२-थिक नेट (RG-8 RG-11)
थिक नेट -यह केबल मोटी होती है और इसका इनर कंडक्टर का व्यास अधिक होता है इस केबल में प्रतिरोध कम होता है जिसके कारण इसकी सेगमेंट डिस्टेंस 500 मीटर तक होती है ।
थिन नेट-यह केबल थिक नेट कि अपेक्षा कम मोटी होती है और इसके इनर कंडक्टर का व्यास कम होता है जिसके कारण इसकी सेगमेंट डिस्टेंस 185 मीटर होती है ।
कोएक्सिअल केबल कि डेटा ट्रान्सफर स्पीड १० mbps होती है । इस केबल का इंस्टालेशन सरल है लेकिन इसे मैनेज करना कठिन है मोटे प्लास्टिक आवरण के कारण इस पर बाहरी चुम्बकीय क्षेत्रों का प्रभाव कम पड़ता है
कोएक्सिअल केबल के साथ BNC (Bayone Neill Concelman) कनेक्टर का प्रयोग किया जाता है जो कई प्रकार के होते है जैसे T-connector(टी कनेक्टर ) ,barrel connector(बैरल कनेक्टर ),terminator(टर्मिनेटर) ।
इस केबल का प्रयोग बस टोपोलॉजी में किया जाता था । कंप्यूटर में इसे जोड़ने के लिए BNC टाइप लैन कार्ड लगाया जाता था ।
Transmission media/Medium क्या हैं और यह कितने प्रकार के होते हैं !
दोस्तों आज हम Transmission Medium ( संचरण
माध्यम) के बारे में विस्तृत चर्चा करंगे और यह समझने और जानने का प्रयास करेंगे
की Transmission Medium क्या हैं ! यह कितने प्रकारका
होता हैं ! और आज के इस आधुनिक Digital युग में कितने प्रकार के Transmission Medium प्रचलित हैं ! Transmission medium को यदि हम सरल भाषा में समझने का
प्रयास करे तो यह कह सकते हैं हैं की ऐसा कोई भी माद्यम (medium)जिसके द्वारा दो उपकरणों(Device) को आपसमे Connectivity दी गई हो और वो एक दूसरे के साथ
अपने Resource या Data को आपस में Share कर सकते हो उसको Transmission
medium कहा जाता हैं यह माद्यम कुछ भी होसकता हैं Wire
less या Wire base ,Transmission medium को 2 भागो में विभाजित किया गया हैं ,Wireless
और Wire-based
Wire-based Transmission media / Medium -(तारआधारित संचरण माध्यम )
Wire -Base Transmission
Medium जैसा की नाम से ही स्पष्ट होता हैं की यह एक तार आधारित Connectivity
हैं ,इनमे उन सभी Entity को रखा गया हैं जिसमे दो Device की Connectivity को Physically
देखा जासकता हैं ! Touch किया जासकता हैं ! इसको मुख्य रूपसे 3 भागो में विभाजित किया गया हैं जो इस प्रकार हैं
Twisted Pair
Twisted pair एक ऐसी Wire होती हैं जिसमे दो Wire आपस में एक दूसरे को twisted (मुड़ी) किये हुए होती हैं ! यह Wire सामान्यत Landline Telephone या internet
Connection Cable RJ45 में देखने को मिल जाती हैं ! Twisted
Pair Cable को 2 भागो में विभाजित किया गया है ! , 1.
Shielded Twisted pair और 2. Ushielded twisted Pair
Unshielded Twisted pair
Unshielded Twisted pair में दो Wire एक दूसरे से में सर्पीले आकर में लिपटी होती
है ! यह Cable आम तोर पर 100 से 150 meters तक Data को travel करा सकती है इस Cable में data 1 GB से 10 GBPS की Speed से Travel कर सकता है
Shielded Twisted pair
इस Twisted pair में Wires के ऊपर एक Shield होती है जससे इस Wire में transfer हो रहे data को थोड़ी Speed मिलती है क्यों की यह Shield
Data के Electromagnetic Field को कम कर
देती है ? जिससे data Signal की travel करने की Speed बढ़ जाती है
Twisted pair Cable के लाभ
अथवा फायदे(Advantage of Twisted pair Cable)
- यह Cable लागत
में किसी अन्यः Cable
की तुलना में बहुध ही सस्ती होती है
- इसका Installation बहुद
सरल( Easy
) होता है ! इसको RJ 45 ( Registered Jack type 45 ) जैसे plug के साथ
आसानी से Connect
किया जासकता है
- इसमें किसी भी Node को Easily Network में Connection दिया
जासकता है
Twisted Pair Cable की कुछ
खामियाँ अथवा हानियाँ (Disadvantage of Twisted pair Cable )
- इस Cable से data को
ज्यादा Long
Distance तक Travel नहीं कराया जा सकता है
- यह Cable बाहरी
वातावरण से effective
होती है क्यों की इसमें Electromagnetic
Field बनता है जिससे electrical नॉइज़
व् interference
होता है
- इस Cable में
किसी भी Node
को Connection देना बहुद ही Easy होता
है अतः यह सुरक्षा के लिहाज से अधिक सुरक्षित नहीं होती है
- इस Cable में Connection बढ़ने
पर Data
transfer की स्पीड भी कम हो जाती है !
यह कुछ ऐसी Twisted Pair
Cable का वर्णन है ! जो पिछले कुछ
समय में market में चल रही है अथवा कुछ चलन से बाहर हो गई है !
- CAT 1 पुराने
telephone
Communication में इस्तमाल किया जाता था इसकी Speed Speed 1
Mbps (megabits per Second ) तक होती थी
- CAT 2—Token Ring network के लिए
काम मे आती थी इसकी Speed
4 Mbps तह होती थी
- CAT 3—token ring और 10Based -Tree Network
के लिए इस्तमाल कीजाती है इसकी Speed 10 Mbps होती
है
- CAT 4 यह Cable CAT 3 का Update है
इसकी Data
transfer speed 16 Mbps है
- CAT 5 यह Ethernet , Fast
Ethernet और token Ring Network के लिए
Use होती
है इसकी Data
transfer Speed 100 Mbps है
- CAT 5e यह CAT 5 का Update Version है !
इसकी Data
transfer Speed 1000 Mbps है
- CAT 6 यह CAT 5 का Update version है !
इसकी Data
transfer करने की Speed 10 Gbps है जो
मात्र 50
से 55 मीटर की दुरी तक है
- CAT 6a— यह Cat 6 काही Update version है | इसकी Data transfer करने
की Speed
10 Gbps होती और इससे भी 55 मीटर्स तक के Distance में Data को Transfer किया
जासकता है
- AT 7 इस Cable से भी 10 GBPS की Speed से Data को Transfer किया
जाता है इसमें 1
00 120 मीटर की दुरी तह data को transfer किया
जासकता है
Coaxial Cable
Coaxial Cable में एक ताम्बे( Copper ) Wire होती है ! उसके ऊपर एक रोधन ( insulation
) की एक परत होती है और उसके ऊपर ताम्बे की जाली (Copper
Mesh) होती है ! और उसके ऊपर एक Outside insulation होता है !
यह दो प्रकार की होती है thin net केबल और Thick net Cable
Thin net Cable और Thick net cable में कोई ज्यादा फर्क नहीं होता
है ! इसमें Cable के inter connector के व्यास (Diameter )का फर्क होता है ! Coaxial
cable की Data transfer Speed 10 Mbps होती है इसके बाहरी मोटे Plastic के कारण यह बाहरी वातावरण से ज्यादा Effective नहीं होती है इसी कारण इसके Data
transfer करने की Speed ज्यादा
होती है ! और लम्बे Distance तक होती है इस Cable में BNC Connector (Bayone Neill Concelman )का प्रयोग किया जाता है , यह BNC
Connector कही प्रकार के होते है T-connector,barrel
connector,terminator
इन दोनों Cables में कुछ जो मोटे तोर पर अंतर् है वो इस प्रकार है !
Thick net cable
|
Thin net
Cable
|
यह एक Original और पहला Coaxial Cable है
|
यह Thick net Cable का एक update और
विकसित रूप (Version)
है
|
इसकी Data transfer करने की
दुरी (Distance)185
मीटर तक है
|
इसकी Data transfer करने की
दुरी (Distance)500
मीटर तक है ! क्यों की इसमें inter connector के व्यास
को बढ़ाकर shield
और insulation को कम कर दिया गया जिससे signal ज्यादा
दुरी तक strong
होने लगे
|
इसका Installation थोड़ा Easy था और यह
लचीली-और कमजोर थी जिससे टूटने का ज्यादा डर रहता था
|
इसका Installation थोड़ा Heard था और यह
मोटी होने के कारण थोड़ी कठोर है ! जिस से इसके टूटने का डर नहीं रहता है
|
इसका यूज़Computer में
मुख्यत Bus
topology में किया जाता था वर्तमान समय में इसका उपयोग
Computer
में नः के बराबर है !
|
वर्तमान
में इसका प्रयोग Cable TV में किया जाता है !
|
Fiber optic -Cable
Dr.Narinder Singh Kapany(नरिंदर सिंह कापानी) जिनको Father of Fiber optic ने Fiber optic cable का अविष्कार किया था इन्होने
पहली बार यह साबित करके दिखाया की Light को भी मोड़ा जासकता है और उससे Data को Transmit किया जा सकता है Fiber
Optic Cable अब तक Networking की दुनिया में Data को सबसे First transfer करने वाली Cable है , इस cable का वर्तमान में बहुध ही ज्यादा उपयोग किया
जाता है और internet की Connectivity
के लिए महासागरों में ऐसी Cable को Internet Service provider ने डालकर internet
की Connectivity को बना रखा है ! अथवा इंटरनेट सेवा
प्रदान करते है ! Fiber optic Cable में data
Light की Form में transfer होते है इसलिए इसकी Speed सबसे ज्यादा होती है! इस cable में data को Digital signal को Light signal में transfer
किया जाता है और Fir receiver light signal में Data को Receive कर वापस Digital Form में Convert कर देता है Optical Fiber में एक बहुद ही छोटी glass या Fiber की नली होती है एक बाल जितनी बारीक़ इसमें से data को Light की Form में निकाला जाता है ! glass के ऊपर Fiber coating होती है Fiber optic cable में कोई भी Electromagnetic
Field नहीं बनता है और यह बहार के किसी भी प्रकार के Environment
से Effective नहीं होता है
Types of Fiber optic Cable
यह Cable 2 प्रकार की होती है single
mode और Multi mode
Single mode single mode
Fiber optical cable data को काफी long
Distance तक Transfer कर सकती है इस लगभग 50 से 60 km तक Data को transfer किया जाता है इसमें light
wave की तरह travel करती है और single time में single
light signal को ही transfer किया जाता है ! दोनों Cable की कार्य प्रणाली और मुलभुत सरंचना (working
process and Structure of fundamental ) को निचे
दिए गए विवरण से आसानी से समझा जासकता है !
Single mode cable
इस cable में डाटा कही दुरी तक Send किया जा सकता है इसमें प्रकाश तंतु को glass के बीचो -बीच से निकलना होता है वह कही भी glass की सतह से नहीं टकराता है ! जिससे उसकी Speed काफी तेज होती है
Multi Mode Cable
Multitude fiber optical
Cable का use एक साथ multi-pal signal को transfer करने के लिए use किया जाता है इस Cable को कम दुरी तक Data
travel करवाने के लिए use किया जाता है इसमें प्राय दुरी 10 – से 15 km तक ही होती है
Wire-less Transmission media / Medium (तार-रहित संचरण /माध्यम )
जैसा की नाम से ही स्पष्ट होता है की एक ऐसा medium जिसमे Data के Communication में wire का यूज़ नहीं किया जाता है यह एक Wireless
Communication होता है wire less Communication मुख्य रूप से Electromagnetic Wave के माद्यम से होता है ! Electromagnetic
Wave को Electric और Magnetic
Fields के Combination से Generate
किया जाता है ! wireless Communication को भी कुछ श्रेणियों में वर्गीकृत किया गया है ! जिसको हम यहाँ विस्तार से
समझेंगे
1 Microwave
(सूक्ष्मतरंगें) /Satellite
Communication 2 Radio waves ( Mobile Communication ) 3 infrared
1 Microwave (सूक्ष्मतरंगें) /Satellite Communication – Microwave Communication में 16 gigabit पर Second
Data को transfer करने की speed होती है ! यह एक Uni direction Communication होता है इसके लिए ऊचे और बड़े Tower लगाने की जरूरत होती है इन tower के ऊपर parabolic
Antenna का use किया जाता है ! और दोनों Parabolic
antenna को बिल कुल एक दुसरव के सामने की Direction
में रखा जाता है जिस से Micro wave बीम travel कर सके इसका सबसे अच्छा उदहारण आज के Time में Mobile tower और घरो की छत पे लगे disk tv
antenna में लगे Parabolic Antenna है
1.2
Satellite Communication– यह भी एक microwave communication का ही
दूसरा रूप है परन्तु इस Process में जमीन पर लगे Parabolic
antenna सीधे अंतरिक्ष की Over bit में स्थापित satellite से Communication
करते है उनका भी Communication करने का माध्यम uni-direction ही होता है satellite
communication का सबसे बड़ा फायदा यह होता है की इससे एक country से दूसरी Country तक भी Communication किया जा सकता है ! और इसका सबसे अच्छा उदहारण आज के आज के वक्त में लाइव TV
streams और disk TV है जिसमे Micro wave का use होता है
2 Radio
waves– Radio wave एक ओमनी Direction
में travel करती है इनकी data को transfer करने की speed microwave से कम होती है परन्तु यह काफी
दूर तक travel कर सकती है Radio wave में किसी भी Physical object को penetrate
करने की Capacity होती है इस वजह से यह दुर्गम और दूर दराज के इलाकों में भी आसानी से पहुंच
जाती है इसका सबसे अच्छा उदाहरण है FM Radio और मोबाइल signal है
3.
Infrared – Infrared communication एक युनी
डायरेक्शन Communication होता है यह दीवार या किसी भी Physical
अवरोध को पार नहीं कर सकता है ! और ना ही यह ज्यादा दूर तक travel कर सकता है इसका उसे Automatic door,Remote control आदि में किया जाता है आदि में किया जाता है
दोस्तों यह थी hindiitsolution द्वारा transmission
media के बारे में कुछ सैद्धांतिक जानकारी है हो सकता है की इस
लेख में मे कुछ भूल वस लिखना भूल गया हो किसी particular topic के ऊपर कम जानकारी बता पाया यदि आप को इस संबंध में कोई और topic या जानकारी पता है तो आप Comments करे आप के feed back के लिए हिंदी .आईटी .सोल्युशन
हमेसा आभारी है ! इस website पर अनेक रोचक और सरल
post हिंदी में लिखी गई हे जिसको आसानी से समझा जा सकता है यदि
आप को hindiItsolution द्वारा लिखे गए लेख में कोई
जानकारी समज नहीं आती है अथवा किसी भी task का practice करने में कोई Problem आती है तो कमैंट्स करें आप की समस्या का समाधान जरूर करने का प्रयास किया जाये
गा
विशाल सोलंकी ...
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